कांतारा: ए लीजेंड चैप्टर 1 , बॉक्स ऑफिस धमाका

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भारतीय सिनेमा में जब भी लोककथाओं, धर्म, प्रकृति और रहस्य को मिलाकर कोई कहानी कही जाती है, तो दर्शकों का जुड़ाव अपने आप गहरा हो जाता है। ऐसी ही एक मिसाल बनी है — “कांतारा: ए लीजेंड चैप्टर 1”, जिसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा दिया है बल्कि भारतीय फिल्म-निर्माण के नए दौर को परिभाषित भी किया है।

निर्देशक-अभिनेता ऋषभ शेट्टी की यह फिल्म अपनी रिलीज़ के सिर्फ 8 दिनों में लगभग ₹336.50 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है। यह आंकड़ा सिर्फ दक्षिण भारतीय सिनेमा के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय फिल्म उद्योग के लिए उत्साहजनक है। फिल्म ने सैय्यारा जैसी ब्लॉकबस्टर को पीछे छोड़ते हुए साल 2025 की दूसरी सबसे बड़ी हिट का दर्जा पा लिया है।


कहानी और विषयवस्तु: लोककथा और आत्मा की गूंज

“कांतारा: चैप्टर 1” का संसार रहस्यमयी और भावनात्मक दोनों है। यह फिल्म पहली “कांतारा” (2022) की प्रीक्वल है, जिसमें कहानी की जड़ें और गहरी दिखाई गई हैं। कथा 301 ईस्वी के आसपास के कर्नाटक के एक तटीय गाँव की है, जहाँ भूमि, विश्वास और ईश्वर के बीच संघर्ष पनपता है।

फिल्म में दिखाया गया लोकदेवता पण्जुरली दैव गाँव की आत्मा की रक्षा करता है, लेकिन इंसानी लालच से उपजी त्रासदियाँ उसे बार-बार जाग्रत करती हैं। ऋषभ शेट्टी ने खुद मुख्य किरदार निभाया है, और उनका अभिनय पहले से कहीं अधिक गहराई लिए हुए है। संवादों की संजीदगी और दृश्यों की भव्यता दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देती है।


सिनेमैटिक अनुभव और तकनीकी उत्कृष्टता

“कांतारा: चैप्टर 1” की सिनेमैटोग्राफी फिल्म की आत्मा कही जा सकती है। अर्जुन जोया की कैमरा वर्क से जंगल, आग, पानी और हवा जैसे तत्व जीवंत महसूस होते हैं। हर दृश्य में प्रकृति का सशक्त अस्तित्व दिखाई देता है।

फिल्म का पार्श्व संगीत (Background Score) भी उतना ही प्रभावी है — अजनीश लोकनाथ ने पारंपरिक कर्नाटक संगीत को आधुनिक टोन के साथ मिलाकर एक ऐसा साउंडस्केप तैयार किया है जो स्क्रीन से बाहर तक गूंजता है।

विजुअल इफेक्ट्स का इस्तेमाल भी सीमित लेकिन सार्थक रूप में किया गया है। लोककथा-आधारित सीक्वेंस में CGI की बजाय प्रैक्टिकल सेट्स का अधिक उपयोग, फिल्म को “सच्चा” एहसास देता है। यही सादगी और प्रामाणिकता इसे अन्य मेगा-बजट फिल्मों से अलग बनाती है।


बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गूंज

सिर्फ 8 दिनों में ₹336 करोड़ का आंकड़ा पार करना किसी भी भारतीय फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि है। खास बात यह है कि फिल्म का प्रचार-प्रसार सीमित था — यह दर्शाता है कि “वर्ड ऑफ माउथ” यानी लोगों की बातों से बनी चर्चा ने ही इसे सुपरहिट बनाया।

दक्षिण भारत के बाद फिल्म को उत्तर भारत, यूके, यूएई, और यूएसए में भी खूब पसंद किया जा रहा है। समीक्षकों का मानना है कि इसकी लंबी दौड़ अभी बाकी है, और इसके ₹500 करोड़ पार करने की संभावना मजबूत है।

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